बढ़ती जनसंख्या चुनौती न बनकर बड़ा अवसर सिद्ध हो!

डॉ.वेदप्रकाश

भारत सर्वाधिक जनसंख्या का स्थान पा चुका है। इसका परिणाम जहाँ एक ओर अवसर के रूप में दिखाई दे रहा है वहीं दूसरी ओर यह बहुत बड़ी चुनौती भी है। यह सत्य है कि जन ही किसी राष्ट्र की मजबूत नींव होते हैं। सभी को बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता, ज्ञान- विज्ञान एवं तकनीकी साधनों का विकास, स्वावलंबन, समृद्धता, शांति और आपसी सद्भाव आदि अनेक ऐसे पैमाने हैं जो किसी राष्ट्र को विकसित बनाते हैं। किंतु जनसंख्या की अधिकता न्यूनाधिक रूप में समस्याओं का कारण भी बनती है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र वैश्विक जनसंख्या रिपोर्ट-2022 जारी की गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार अब भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ हो गई है जबकि दूसरे स्थान पर चीन की जनसंख्या 142.57 करोड़ है और तीसरे स्थान पर अमेरिका की जनसंख्या 34 करोड़ है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले भारत में आयु वर्गों की हिस्सेदारी के अनुसार 0 से 14 वर्ष के 25%। 10 से 19 वर्ष के 18%। 10 से 24 वर्ष के 26%।

15 से 64 वर्ष के 68% और 65 से अधिक वर्ष के 7% है। आयु वर्ग की हिस्सेदारी के प्रतिशत जानने के साथ-साथ आज यह भी आवश्यक है कि इसमें लिंग, उनकी शिक्षा, स्त्री-पुरुषों की औसत आयु, उनके स्वास्थ्य की स्थिति,उनको उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की स्थिति,रोजगार के अवसर आदि आधारों पर भी इस जनसंख्या का विश्लेषण किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट-2023 के अनुसार भारत के राज्यों में आयु के हिसाब से आबादी का बंटवारा अलग अलग है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों की अधिकांश जनसंख्या युवा है जबकि केरल और पंजाब में सबसे अधिक बुजुर्ग बसते हैं। भारत में जीवन प्रत्याशा महिलाओं के लिए 74% और पुरुषों के लिए 71% है। यहाँ सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश और बिहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके साथ साथ चिंतनीय यह भी है कि केरल और पंजाब के सर्वाधिक युवा विदेश का रुख कर चुके हैं। यदि उत्तर प्रदेश और बिहार पर समुचित रूप से केंद्रित नीतियां नहीं बनी तो वहाँ के युवा भी पलायन कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक जनसंख्या संभावनाएं- 2022 रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत की आबादी 166.8 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इन आंकड़ों को हमें गंभीरता से लेना होगा। भारतवर्ष विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं भौगोलिक दृष्टि से विविधता है। भिन्न भिन्न प्रकार की विविधताओं में अनेक चुनौतियां भी हैं। हमें समय से उन चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। आज बढ़ती हुई जनसंख्या के अनुरूप बुनियादी संसाधनों की उपलब्धता और वितरण एक बड़ी चुनौती है। स्वास्थ्य, शिक्षा,सुरक्षा, खाद्यान्नों की उपलब्धता, पेयजल की उपलब्धता, यातायात के साधन आदि अनेक ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु हैं जिन पर आज भी हम बहुत पीछे हैं। ऐसे में निरंतर बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चुनौती का कारण बन सकती है। जाति, संप्रदाय एवं क्षेत्रीयता की संकीर्णता भी ऐसे मुद्दे हैं जो चुनौती बन रहे हैं। ऐसे में भारत भाव का व्यापक प्रचार- प्रसार एवं जुड़ाव अनिवार्य है। दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षों में भारत ने 23 यूनिकॉर्न बनाकर विश्व में सर्वाधिक का स्थान प्राप्त कर लिया है। निरंतर नए स्टार्टअप स्थापित हो रहे हैं। देश के करीब 6 करोड़ घरों में हर घर नल योजना से पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। खाद्यान्नों की पैदावार में भी भारी बढ़ोतरी है, जिससे भारत न केवल अपने लिए अपितु विश्व के अन्य देशों के लिए भी खाद्यान्न उपलब्धता में सहायक हो रहा है। केंद्र सरकार के प्रयासों से देश में कार्य संस्कृति में निरंतर बदलाव आ रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सहित अनेक ऐसे प्रयास भी किए जा रहे हैं जिससे अधिक से अधिक कुशल व रोजगार योग्य युवाओं को तैयार किया जा सके। हाईवे,रेलवे,वाटर वे, हवाई वे आदि में आमूलचूल सुधार और विस्तार निरंतर जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत की उपस्थिति और भागीदारी निरंतर मजबूत हो रही है। विश्व की कई समस्याओं के समाधान में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह भी सत्य है कि आज जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, प्राकृतिक आपदाएं,वन क्षेत्र की कमी, घटता भूजल, विस्तारवाद की नियत,आतंकवाद, नशा,हिंसा आदि अनेक बड़ी चुनौतियां हैं जिन पर राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयास होने चाहिए। भारत के संदर्भ में केंद्र और राज्यों को मिलकर राष्ट्र की संपत्ति स्वरूप कुल जनसंख्या के आधे से अधिक युवा आबादी के लिए समुचित योजनाओं पर काम करना होगा, जिससे बढ़ती जनसंख्या चुनौती न बनकर भारत के लिए एक बड़ा अवसर सिद्ध हो सके।

India Edge News Desk

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